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तीन से चार वर्ष की उम्र के बच्चे का विकास

तीन से चार वर्ष की उम्र के बच्चे का विकास

शारीरिक मानसिक भाषागत भावनात्मक सामाजिक
एक पैर पर कुछ देर के लिए खड़े रह सकता है। रंगों को पहचान कर उनके नाम बता सकता है। प्रश्न पूछ सकता है। परिवार के सदस्यों के भावनात्मक संबंधों को जान-समझ सकता है। परिवार के सदस्यों के साथ घुल-मिल जाता है।
घर के बाहर जाने पर आवश्यक साधनों का उपयोग कर सकता है। खिलौने को तर्कबद्ध तरीके से सुव्यवस्थित सजा सकता है। नाम, उम्र तथा पता बोल सकता है। बिस्तर गिला करने की आदत छूट जाती है। स्कूल में अन्य बच्चों के साथ घुल-मिल सकता है।
पैरों के सहारे स्थिरता से दौड़ सकता है, कूद सकता है। पेन्सिल रंग का इस्तेमाल कर चित्र में रंग भर सकता है। 1 से 10 तक अंकों का उच्चारण कर सकता है, गिनती गिन सकता है। परिवार के सदस्यों के साथ दैनिक कार्यों में हिस्सा लेना चाहता है। चम्मच एवं कांटे के इस्तेमाल तथा साफ-सफाई व स्वच्छता के बारे में जानता-समझता है।
छोटे अवरोधों को पार कर दौड़ सकता है। बच्चों की कैंची का उपयोग कर सकता है। वाक्य बोलकर जवाब दे सकता है। वस्तु, स्थान एवं व्यक्तियों के साथ लगाव बढ़ता जाता है। दूसरों के साथ मिल-बांटकर खाने की इच्छा विकसित होती है।
गली में तीन पहियों की साइकिल चलाता है। सहजता के साथ पेन्सिल पकड़ सकता है। अन्य लोगों के साथ संवाद करता है। विश्वास, शंका एवं भावनाओं की स्पष्टता नजर आती है। चित्र बनाकर खिलौने खेलना उसे अच्छा लगता है।
गेंद को निश्चित दिशा में लात मार सकता है। अक्षरों को आकार में लिख सकता है। पसंदीदा कहानी को बार-बार सुनना अच्छा लगता है। वर्तमान एवं भूतकाल के अनुभवों को समझ सकता है। स्वयं टॉयलेट जाने की तथा समय एवं स्थान से संबंधित जागरूकता विकसित होती है।

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