स्कूल में बच्चे का दाखिला किस उम्र में करवाएं?
बच्चे के स्कूल प्रवेश के लिए ३०-०६ के दिन तीन वर्ष पूरे होते हों, तो उसका दाखिला नर्सरी में करवाया जा सकता है। लेकिन विशेष मामले में बच्चे के शारीरिक-मानसिक विकास के मद्देनजर ऐसे बच्चों को स्कूल दाखिला दे सकती है जिनके तीन वर्ष ३०-०९ को पूरे होते हों।
परन्तु ३०-०९ के आसपास जन्म लेने वाले बच्चे कक्षा में उम्र के मामले में अपेक्षाकृत छोटे होने की वजह से आगे चलकर प्रतियोगिता में कठिनाई महसूस करते हैं। कई माता-पिता बच्चे की जन्म तिथि में सुधार कर उसे ऊपरी कक्षा में प्रवेश देने का आग्रह करते हैं, जो कि बच्चे के लिए अत्यंत नुकसानकारक है।
जागृत माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चे को एक वर्ष पिछली कक्षा में प्रवेश दिलवाएं ताकि कुल मिलाकर बच्चे को लाभ हो।
नर्सरी स्कूल बच्चे को घर एवं माता-पिता से दूर रहने की तालीम, आदत विकसित करने का अवसर, समयपालन तथा अपनी दैनंदिनी (डायरी) का प्रबंधन स्वयं करने का अवसर देती है। नर्सरी स्कूल अभ्यास के लिए नहीं है, बल्कि इस बात का एहसास कराने के लिए है कि स्कूल आनंद प्रदान करने वाली एक व्यवस्था है।
बच्चे को ऐसी प्रवृत्ति में रत किया जाए जिससे कि उसमें कौशल विकसित हो, सर्वांगीण विकास हो तथा उंगलियों एवं आंखों का कौशल विकसित हो।
नर्सरी स्कूल रंग, खेलकूद, संगीत, आकार, खिलौने, समायोजन, व्यवस्था, लालित्य, आहार, शिष्टाचार, मित्रता, सामाजिक अनुकूलन, स्वतंत्रता, आनंद-प्रमोद एवं स्व-संचालन सीखाने वाली व्यवस्था है।
स्कूलों को नर्सरी स्कूल के बच्चों को इसी परिप्रेक्ष्य में प्रशिक्षण देना चाहिए। ऐसे बच्चे सीधे जू.के.जी. में प्रवेश लेते हैं, परन्तु पढ़ाई में पीछे नहीं रहते।
प्ले स्कूल, नर्सरी स्कूल नौकरी करने वाले माता-पिता, व्यस्त माता-पिता के लिए की गई व्यवस्था है या फिर बच्चे को व्यस्त रखने की वैकल्पिक व्यवस्था न हो तो स्कूल बेहतर विकल्प है।
आम तौर पर परिवार के प्रथम बालक को लेकर माता-पिता कुछ ज्यादा ही उत्साही होने के कारण अधिकाधिक प्रयोग करते हैं और उस परिपक्वता का लाभ दूसरे बच्चे को मिलता है।
उम्र से पहले स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चे पढ़ाई में कठिनाई का अनुभव करते हैं या क्षमता के मामले में अपेक्षाकृत पीछे होने के चलते नुकसान झेलते हैं।