Preschool Blogs| पाठ्यक्रम और सह-पाठ्यक्रम प्रवृत्तियां | Ahmedabad Juniors
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पाठ्यक्रम और सह-पाठ्यक्रम प्रवृत्तियां

पाठ्यक्रम और सह-पाठ्यक्रम प्रवृत्तियां

स्कूल में विभिन्न क्रियाकलाप या प्रवृत्तियों के साथ अभ्यास करना सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था है। ये प्रवृत्तियां ज्ञान एवं अनुभव का विकास करती हैं। प्रवृत्तियां सीमित परीक्षा व्यवस्था से बच्चे के व्यक्तित्व को बाहर लाती है। प्रवृत्तियां कक्षा के सभी बच्चों को अव्वल स्थान पर आने का अवसर मुहैया कराती है। प्रवृत्ति मन की खुराक है और शरीर की ऊर्जा का ऊर्ध्वीकरण है। प्रवृत्ति जैविक उपलब्धि है। प्रवृत्ति बच्चे को अवसर मुहैया कराने की व्यवस्था है। प्रवृत्ति समय-संचालन का पाथेय है। प्रवृत्ति व्यक्तित्व विकास की माता है। प्रवृत्ति प्रतिशत रूपी तराजू की चुनौती है। प्रतिशत के पैमाने की चुनौती है प्रवृत्ति। प्रवृत्ति ही सच्ची शिक्षा है। बच्चे में जो श्रेष्ठ है उसे बाहर लाइए यानी कि उसे प्रवृत्तियों का अवसर प्रदान करें। प्रवृत्ति यानी शैशव का उत्खनन, प्रवृत्ति यानी प्रतिभा का नवसृजन, प्रवृत्ति यानी उल्लास, प्रवृत्ति यानी जीवन के उत्सव का आयोजन-समायोजन, प्रवृत्ति यानी कक्षा को स्वर्ग बनाने की प्रक्रिया, प्रवृत्ति यानी शिक्षक के शिक्षकत्व का उपार्जन, प्रवृत्ति यानी शिक्षा की धारा में बहना, प्रवृत्ति अर्थात जानकारी की पोटली में आत्मा का संचार, प्रवृत्ति यानी मन की प्रकृति का साक्षात्कार, प्रवृत्ति अर्थात शैशव का भोर, प्रवृत्ति यानी बच्चे की आंखों में आनंद भरने की प्रक्रिया, प्रवृत्ति यानी स्कूल को श्मशान बनने से रोकने का नैसर्गिक प्रयास, प्रवृत्ति यानी पुस्तक से बाहर निकलकर प्रकृति के साथ एकाकार होना। प्रवृत्ति यानी स्कूल की रस-रूचि का प्रतिबिंब।

यानी ईश्वर को सृजनरूपी अंजली, प्रवृत्ति अर्थात दृष्टि का सिंचन, अभिरूचि का आश्रय अर्थात प्रवृत्ति, कक्षा की दीवारों के बीच अनासक्त आनंद यानी प्रवृत्ति। प्रवृत्ति यानी आतुरताभरी आंखों में दृष्टि का अंजन, प्रवृत्ति अर्थात कल्पना के साथ झूमते हुए आनंद का अहसास, प्रवृत्ति यानी शैशव में शक्ति का संचार, प्रवृत्ति अर्थात दिमाग पर मन का वैभव, प्रवृत्ति यानी बगीचे को वाटिका में परिवर्तित करने का पुरुषार्थ, प्रवृत्ति यानी प्रतिभा की किरणों का फैलना, प्रवृत्ति अर्थात बोझ का विसर्जन, प्रवृत्ति यानी प्रकृति के प्रकटीकरण का संकेत, प्रवृत्ति अर्थात वर्ण में कर्ण का संचार, ज्ञान को विज्ञान में और योग को प्रयोग में बदलने का प्रयास ही प्रवृत्ति है। प्रवृत्ति अर्थात शिक्षक का शैशव में प्रवेश करने का प्रयास, प्रवृत्ति यानी स्कूल की चारदीवारी के भीतर पक्षियों का कलरव, प्रवृत्ति अर्थात संगत को रंगत में बदलने का शैक्षणिक प्रयास। यह सब कुछ सह अभ्यास प्रवृत्तियों का सृजन और सह अभ्यास प्रवृत्तियां न होने की स्थिति में व्यक्तित्व का विसर्जन हो रहा है, ऐसा माना जाए। शिक्षा प्रणाली में हाल के दिनों में आया परिवर्तन अभ्यास को सह अभ्यास प्रवृत्ति में तब्दील करने की शुरूआत है। वर्ष २०११ की तालीम के पश्चात एक आचार्य ने मुझसे मुलाकात के दौरान तालीम को लेकर अपनी राय देते हुए कहा कि, यह और कुछ नहीं बस लड़कों को मुफ्त में पास करने का आयोजन भर है।

चाहे कितनी ही तालीम दी जाए, परन्तु सरकार, तंत्र या व्यवस्था जब तक व्यक्ति के दृष्टिकोण (एटीट्यूड) को नहीं बदलेगी, तब तक शिक्षित व्यक्ति भी पारे की प्रकृति की तरह ही नीचली पायदान पर ही बैठे रहेंगे।

नए विचार, आदर्श या नई व्यवस्था के लिए तालीम कार्यक्रमों में जानकारी के महज आदान-प्रदान से ही नतीजे मिलने मुश्किल हैं। एटीट्यूड बदलने की तालीम प्रदान करनी जरूरी है।

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