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पांच से छह वर्ष की उम्र के बच्चे का विकास

पांच से छह वर्ष की उम्र के बच्चे का विकास

शारीरिक मानसिक भाषागत भावनात्मक सामाजिक
संगीत की ताल पर झूम उठता है। प्राकृतिक दृश्यों को उकेर सकता है, रंग भरता है। नए शब्दों को समझने को आतुर होता है। अपनी बात पर काबू रखता है। कल्पनाशक्ति का विकास होता है।
गेंद से संबंधित सभी तरह के खेल खेल सकता है। वस्तुओं का उपयोग कर आकार बना सकता है। कहानी के किरदारों को भाषा-भाव के साथ व्यक्त करता है। अपने अनुज भाई-बहनों की देखभाल करना सीखता है। चाकू जैसी चीज का इस्तेमाल करना सीखता है।
संतुलन बनाए रख सकता है। स्पष्ट आकारों के साथ आकृतियां उकेरता है। उकेरने में स्थिरता आती है। स्वयं का परिचय देता है, जन्मदिन मनाता है। मित्रों की मदद करता है, उनकी भावनाओं को समझता है। खिलौनों को तर्कबद्ध तरीके से सजाकर जमाता है।
कूद सकता है, लंगड़ी जैसा खेल खेल सकता है। गिनती करने का पता चलता है। देखी हुई फिल्म के गीतों को याद रखता है। दोस्त ढूंढकर उन्हें निकट रखता है, दूसरों से दूर रहता है। मिल-बांटकर वस्तु का उपयोग करने की भावना का विकास होता है।
संकरी जगहों पर स्थिरता से चलता है। घर के खिड़की-दरवाजे को उनके निश्चित आकार में उकेर सकता है। लतीफे एवं मनोरंजक कहानियां सुननी अच्छी लगती है। मजाक-मस्ती करना उसे अच्छा लगता है। साफ-सुथरा एवं स्वच्छ रहना तथा प्रशंसा प्राप्त करना अच्छा लगता है।
हाथ के सहारे लटक सकता है, पकड़ बनाए रख सकता है। पेन, पेन्सिल, कंपास एवं योग्य कागज़ की उसे समझ पड़ती है। भाषा लिखते, पढ़ते व बोलते आती है। कक्षा में मित्रों का ग्रुप बनाता है, पसन्द-नापसन्द को महसूस करता है। खुद हाथ-पैर धोने की तथा साफ करने की समझ पड़ती है।

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