बच्चा कहता हैः
मुझे राह न बतलाना, मैं तो आपके पदचिन्हों पर चल रहा हूं।
हर बात पर मुझे मदद की जरूरत नहीं। मुझे कुछ सीखने का संघर्ष करने दीजिए।
हर किसी के साथ मेरी तुलना न करना, मुझ-सा इस दुनिया में दूजा कोई नहीं।
हर बात पर मुझे सलाह न देना, समझ मुझमें भी है।
सवाल मैं जानकारी के लिए नहीं अपितु मेरी जिज्ञासा को शांत करने के लिए पूछता हूं।
आप कहें और मैं न मानुं, ऐसा मैं नादान नहीं,
परन्तु मैं तो कसौटी पर कस रहा हूं कि आप मुझे समझा सकते हैं या नहीं।
मुझे हमेशा प्रोत्साहित करें, मैं आपको हतोत्साहित नहीं करुंगा।
सीखने में यदि मैं असफल रहूं तो प्रयास कीजिए, धैर्य मत खोइए।
आपकी आज्ञा का अनादर करुं ऐसा मैं उद्धत नहीं,
पर मैं तो आपके धैर्य एवं सहनशीलता की कसौटी कर रहा हूं।
मुझे स्वप्नों की नहीं, आत्मविश्वास की जरूरत है और एक माता-पिता के रूप में आप ही मुझे वह दे सकते हैं।
जीवन के सत्य को मुझसे न छुपाना, क्योंकि मुझे भी एक दिन उसका सामना करना है।
मैं असफल हो जाऊं तब सलाह की नहीं, मुझे जरूरत है प्रोत्साहन की।
मैंने डॉक्टर या इंजीनियर बनने के लिए जन्म नहीं लिया बल्कि एक अच्छा इनसान बनने के लिए जन्म लिया है।
मैं आपकी अपेक्षाओं का साधन नहीं, सिर्फ माध्यम हूं।
मैं आपकी वेदनाओं को समझता हूं, लेकिन ‘मेरी संवेदनाओं’ को तो समझिए।
स्कूल मेरे लक्ष्य का नहीं अपितु जीवन का निर्माण है।
मुझे जो कुछ सिखाना चाहते हैं, उस पर सिर्फ अमल कीजिए, मैं सीख लूंगा।
मैं जो कुछ भी हूं वह सिर्फ आपके व्यक्तित्व का प्रतिबिंब हूं।
मुझे सुख-सुविधाओं की नहीं, जरूरत है तो बस जीवन की निरंतरता की।
मैं भी सफलता प्राप्त करुंगा लेकिन हर रोज मेरा इम्तहान न लीजिए।
आप कहें और मैं न मानुं, ऐसा मैं नादान नहीं, परन्तु मैं तो कसौटी पर कस रहा हूं कि आप मुझे समझा सकते हैं या नहीं।