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दो से तीन वर्ष की उम्र के बच्चे का विकास

दो से तीन वर्ष की उम्र के बच्चे का विकास

शारीरिक मानसिक भाषागत भावनात्मक सामाजिक
खिलौना गाड़ी को पैडल मारकर घुमा-फिरा सकता है। चाहे उस हाथ से पेन्सिल पकड़ सकता है। सुनकर प्रतिक्रिया दे सकता है। निर्देश के अनुसार भाव बदल सकता है। स्वयं टॉयलेट जाने की आदत विकसित कर सकता है।
डोर से बंधे खिलौने खींच सकता है। सामान्य चीजों को नियत स्थान पर रख सकता है। चीजों के नाम बोल सकता है। पोषाक में सजे खिलौने से खेलना अच्छा लगता है। किसी के व्यवहार की नकल कर सकता है।
थोड़ा-बहुत दौड़ सकता है और पैरों से किसी चीज को लात मार सकता है। पुस्तक के पन्ने पलटा सकता है और चित्रों को पहचान सकता है। सामान्य निर्देशों को समझ सकता है। चीजों को देखने व उपयोग करने की जिज्ञासा होती है, डर से अनजान होता है। घर पर होने वाले कार्य की नकल करना अच्छा लगता है।
सरल सीढ़ियों पर चढ़ने-उतरने की क्षमता विकसित करता है। करीब छह टावर क्यूब की रचना कर सकता है। अपना नाम बोल सकता है। स्वयं की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहता है। दूसरे को भोजन करते देख भोजन के साधन का स्वयं उपयोग कर सकता है।
रेलिंग पकड़कर सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है। सादे ज्यामितीय आकार चित्रांकित कर सकता है। पूछने पर शारीरिक अंगों के नाम बता सकता है। प्रशंसा को समझ सकता है। माता-पिता का ध्यान खींचने के लिए तरकीब का इस्तेमाल कर सकता है।

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