Preschool Blogs| नौ वर्ष के बच्चों को क्या सिखाना चाहिए? | Ahmedabad Juniors
Menubar

नौ वर्ष के बच्चों को क्या सिखाना चाहिए?

नौ वर्ष के बच्चों को क्या सिखाना चाहिए?

  • कोई भी चीज मांगने से पूर्व प्लीज एवं प्राप्त करने के बाद थैन्क यू कहना सिखाना चाहिए।
  • जब दो बड़े बात करते हों तो अपनी बात कहने के लिए, उनकी बात पूरी होने तक धैर्य रखना सिखाना चाहिए। आवश्यक हो तो बातचीत के विराम में एक्सक्यूज मी कहते हुए नम्रतापूर्वक बात करना सिखाना चाहिए।
  • कोई भी कार्य करने में शंका, आत्मविश्वास का अभाव या सवाल उठे तो पूछना सिखाना चाहिए। यह उसे अनेक मुश्किलों से बचा सकता है।
  • यदि बच्चे को कोई बात या चीज पसन्द न हो तो उस विषय में बड़ों के आगे मौन रहना सिखाना चाहिए, उसे पता होना चाहिए कि ऐसा सुनना किसी को भी पसन्द नहीं।
  • दूसरों के शारीरिक मामलों, भाषा, धर्म व जाति के विषय में सार्वजनिक रूप से कुछ कहना ठीक नहीं है। किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए, यह विशेष रूप से सिखाना चाहिए।
  • यदि कोई पूछे- हाऊ आर यू? तो अच्छा जवाब देना और सौजन्य सवाल पूछना सिखाना चाहिए।
  • दोस्तों की चीजों का उपयोग करने पर तथा उनके घर पर खेलने के बाद लौटते वक्त दोस्त एवं उसके परिवार के सदस्यों को थैन्क यू कहना सिखाना चाहिए।
  • किसी के घर या शयनकक्ष में प्रवेश करने से पूर्व दरवाजा खटखटाना और सामने से जवाब मिलने के बाद ही प्रवेश करना सिखाना चाहिए।
  • किसी भी व्यक्ति को फोन करना हो तब अपना परिचय देने के बाद जिस व्यक्ति से बात करनी है, वही व्यक्ति सामने फोन पर मौजूद है, यह सुनिश्चित करना सिखाना चाहिए।
  • कोई सहायता करे, उपहार दे, मददगार हो तब हाथ मिलाना, कृतज्ञता-भाव के साथ थैन्क यू कहना सिखाना चाहिए।
  • हमेशा बुरा शब्द कहने वाले बच्चे को रोकना चाहिए और अच्छे शब्द सिखाना चाहिए।
  • इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि बच्चा लोगों को, अपने मित्रों को उनके बुरे उपनाम से पूकारना न सीखे।
  • किसी का मजाक उड़ाने, हंसी उड़ाने, कटाक्ष करने, व्यंग्य करने, किसी की भूल पर हंसने, किसी की शारीरिक कमियों पर टिप्पणी करने, मित्र के नाम या उसके परिवार पर टिप्पणी करने, किसी को मारने, सजा देने से बच्चे को हमेशा रोकना चाहिए, उसे समझाना चाहिए।
  • खेलकूद, किसी कार्यक्रम, पार्थना या किसी सभा में रुचि पैदा न हो तो भी धैर्य के साथ बैठना सिखाना चाहिए और यह स्वीकार करना भी सिखाना चाहिए कि मंच पर मौजूद व्यक्ति अपना बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
  • किसी के भी कार्य में रुकावट डालने से पूर्व ‘एक्सक्यूज मी’ कहना सिखाना चाहिए।
  • छिंक या खांसी आने पर हाथ या रुमाल के जरिए मुंह ढांकना और ‘एक्सक्यूज मी’ कहना सिखाना चाहिए।
  • यदि किसी स्थान पर दरवाजे से प्रवेश कर रहे हों या निकल रहे हों तब पीछे आने वाले व्यक्ति के लिए धीरज के साथ दरवाजे को पकड़कर खुला रखना विशेष रूप से सीखाया जाना चाहिए।
  • बड़े-बुजुर्ग, माता-पिता या शिक्षक कोई कार्य कर रहे हों तो, "मे आई हेल्प यू, सर!" कहना और मदद करना सिखाना चाहिए।
  • बड़े-बुजुर्ग जब कोई मदद मांगे तो आनंद के साथ मदद करना सिखाना चाहिए।
  • मेज पर खाना, खाने-पीने के साधनों का उपयोग करना, स्वच्छता बनाए रखने समेत भोजन ग्रहण करने का शिष्टाचार खास तौर पर सिखाना चाहिए।
  • भोजन के दौरान सामने रुमाल रखना एवं रुमाल के जरिए मुंह स्वच्छ रखना सिखाना चाहिए।
  • खाने की मेज पर रखी हुई वस्तुओं को लेने, खिंचने के बजाय खड़े होकर बगल में बैठे व्यक्ति से उसे देने का अनुरोध करना सिखाना चाहिए।
  • स्कूल से लौटने के बाद जूते, लंच बॉक्स, स्कूल बैग व कपड़ों को उचित स्थान पर रखना सिखाना चाहिए।
  • बाहर निकलने पर यातायात संबंधी नियमों को जानना-समझना और साइकिल किस तरह चलानी यह विशेष तौर पर सिखाना चाहिेए।
  • अपनी आवश्यक चीजों के लिए माता-पिता के समक्ष मांग रखने से पूर्व अनुरोध करना सिखाना चाहिए।
  • उत्तरायण, होली और दिवाली जैसे त्योहारों को सुरक्षित तरीके से मनाना अवश्य सिखाना चाहिए।
  • गाड़ी में बैठना, सीट बेल्ट लगाना, स्कूल वैन या बस में सुरक्षा संबंधी उपायों को विशेष रूप से सिखाना चाहिए।
  • कंपास के उपकरणों, शार्पनर, ब्लेड तथा चाकू को सुरक्षित तरीके से उपयोग करना सिखाना चाहिए।
  • अपने शील्ड, ट्रॉफी, सर्टिफिकेट और फाइल इत्यादि को सुव्यवस्थित तरीके से रखने की आदत विकसित करना सिखाना चाहिए।
  • अपनी स्कूल की प्रवृत्तियों में भाग लेना, शिक्षक के समक्ष अपनी बात रखना, खुद की छोटी-छोटी समस्याओं को हल करना तथा मुश्किल वक्त में किसकी मदद लेना? यह विशेष रूप से सिखाना चाहिए।
  • अंग्रेजी में कर्सिव लिखना - सरल अंग्रेजी समझना एवं थोड़ा-बहुत बोलना उसे अवश्य आना चाहिए।

माता-पिता का बर्ताव-व्यवहार बच्चों की पहली पाठशाला होती है। माता-पिता के व्यवहार से बच्चा जो कुछ भी सीखता है, उतना वह सिर्फ कहने भर से नहीं सीखता, इस तथ्य को माता-पिता स्वीकार करें यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात है।

Share: Facebook Twitter Google Plus Linkedin
Home Link