- अपना नाम-पता, टेलीफोन नंबर लिखना, पढ़ना और बोलना सिखाना चाहिए।
- अपने माता-पिता का नाम सिखाना चाहिए।
- अपने इलाके की स्थिति का पता होना चाहिए।
- कपड़ा पहनना, बदलना सिखाना चाहिए।
- पेन्ट की चेन खोलना-बंद करना सिखाना चाहिए।
- अपनी चीजों को उचित स्थान पर रखना सिखाना चाहिए।
- किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, इसका उसे पता होना चाहिए।
- शिष्टाचार (गुड मैनर्स) एवं शुभकामनाओं (गुड विशेज) के कुछ शब्द बोलना सिखाना चाहिए।
- अच्छे ढंग से बैठना, परस्पर अनुकूल होना सिखाना चाहिए।
- मित्रों के साथ घुल-मिल जाना और बातचीत करना सिखाना चाहिए।
- जूते की लेस बांधना, खोलना और पहनना सिखाना चाहिए।
- टॉयलेट का सही इस्तेमाल करना सिखाना चाहिए।
- हमेशा भोजन से पूर्व एवं टॉयलेट पश्चात हाथ स्वच्छ करने की जागृति पैदा करनी चाहिए।
- भाषा, उच्चारण, संगीत व चित्र के प्रति रुचि विकसित करना सिखाना चाहिए।
- अपने माता-पिता, बुजुर्गों को विनम्रता के साथ सम्मान देना सिखाना चाहिए।
कुछ स्मार्ट बच्चे अपने आसपास देखकर ही बहुत कुछ सीख जाते हैं, कुछ बच्चों को सिखाना पड़ता है जबकि कुछ को बार-बार कहना पड़ता है।
इस प्रकार का रवैया और व्यवहार ज्यादातर बच्चे अपने परिवार के सदस्यों को देखकर ही सीखते हैं या फिर दिलचस्प कहानियों के चतित्रों से सीखते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को उनकी उम्र के मुताबिक अच्छी दृष्टांत कथाएं, काल्पनिक कहानियां एवं धार्मिक कथाएं विशेष रूप से सुनाएं।